रविवार, 18 नवंबर 2012

मुहावरे व लोकक्तियाँ - गढ़वाली व कुमाऊँनी मे [भाग २]


मुहावरे व लोकक्तियाँ - गढ़वाली व कुमाऊँनी मे बहुत सी है यहाँ दूसरे भाग मे भी १० -१० मुहावरे व लोकक्तियों को बताया जा रहा है  - हिन्दी अर्थ या भावार्थ के साथ और जहां संभव हो पाया वहाँ अँग्रेजी मे भी दिया जाएगा। [ इससे पहले के भाग १ को इस लिंक मे देखिये http://uttarakhandiwords.blogspot.com/2012/10/blog-post_29.html] 

गढ़वाली

११. दिबतौ की मार न खबर न सार।
देवताओं के न्याय का पता न हल।
a judgement from GOD, one can not go against it or no one have any soultion
[भावार्थ : किसी भी घटना या हानि का होना, बिना किसी जानकारी और उसका समाधान निकाले बिना हो जाना]

१२. जब मांगो तब भोल। जब मांगो तब कल।
when ever asked he/she will say tomorrow
[भावार्थ : जब भी अपने पैसे मांगो तो उसका जबाब होता है कल दूंगा - मतलब वादे से मुकरना (विश्वासघात) ]

१३. जै की लद्वाड़ि लगी आग,उ क्या खुज्योलो साग।   
जिसको भूख लगती वह सब्जी नही ढूंढता।
[भावार्थ- भारी भूख लगने पर सुखी रोटी भी स्वादिष्ट लगती है]

१४. पढ़ायो-लिखायो जाट, सोला दूनी आठ।  
पढ़ाया-लिखाया जाट सोलह दूना आठ।
[भावार्थ- मंदबुध्दि को कितना भी सिखावो, वह कुछ भी ग्रहण नहीं कर पाता]

१५. खेती वैको जैको चैनों चमेलो।   
खेती उसी की होती जिसको चमेली चाहिए।
[भावार्थ- भरे पुरे परिवार वाला व्यक्ति ही सफलतापूर्वक कृषि कार्य कर सकता है]

१६. सट्टी दडकिन भग्यान का, ग्युं दडकिन निर्भागी का।   
धान के खेतों में दरारे भाग्यशालियों की, गेहूं के खेत में अभागों की।
[धान के पौधों के साथ मिट्टी की पपड़ी जमना अच्छा माना जाता है, जबकि गेहूँ के लिए उपयुक्त नहीं है]

१७. घ्वीड़ थें चाँठु प्यारु।   
घुरल/भरल (उत्तराखंड के जंगलो में पाया जाने वाला जानवर) को ऊँचे पठार प्यारे।
[भावार्थ- सबको अपना घर/देश प्यारा लगता है]

१८. जे गौं जाणु नी, वेको बाटू किले पुछण। 
जिस गाँव जाना नहीं, उसका रास्ता क्यों पूछना।
[अनावश्यक वार्ता करने से कोई लाभ नहीं होता]

१९. बुज्या कु बाघ। 
झाड़ी को बाघ।
[भावार्थ-भ्रम होने पर झाड़ी भी बाघ कि तरह दिखाई देती है]

२०. नादान कु दगडू जी को जंजाल। 
नादान से दोस्ती जी का जंजाल।
[भावार्थ- अयोग्य/अपात्र व्यक्ति से काम करवाने पर मुसीबत हो सकती है]



कुमाऊँनी

११. पहाड़ि कि नै सौ रुपया कि
a hill man's NO is worth of hundred rupees
पहाड़ के रहने वाले व्यक्ति की ना का मतलब ना होता है चाहे उसे आप कितनी कीमत दे दो [ जितना भी लुभा लो ]

१२. पुण्य रेख में मेख मारंछू।
श्रद्धा पूर्वक किया गया कार्य आपके बिगड़े भाग्य को बदल सकता है
meritorious acts drive a nail into the line of evil destiny. 

१३.जैक पाप, उवीक छाप।
चोर की दाढ़ी मेँ तिनका। 
(चोर कितना भी होशियार हो पर कुछ सुराग तो छोड़ ही देता है। )
Guilty Conscious Pricks the Mind. 

१४.पाणी मा लकाड़ मारि बेर, पाणीक द्वी नी हुन।
(जिस तरह पानी को लकड़ी से मारकर दो नहीँ बना सकते वैसे ही) सच्चाई को कभी नहीँ झुठलाया जा सकता। 
Truth can never die.

१५.छै च्याल नौ नाती, फ़िर लै बुड़ बागैल खायान।
एक आदमी के छः लड़के व नौ नाती थे तब भी सबको बाघ ने खा लिया अर्थात सावधानी रखने के बाद भी नुकसान होना।Loss, even after careful consideration

१६.जामनै बठे (बै) कामन।
किसी का शुरु से ही कमजोर होना (बिगड़ना) आज की पीढ़ी के कुछ लोग जामनै बठे (बै) कामन होने से अपनी उत्तरखंडी संस्कृति को भुला बैठे हैं।
Being spoiled.

१७.भ्यैर बठे बैन बेर की ह्यौल जब मुख मा मैलाक ढिण छन।
जब मन मेँ ही मैल भरा हुआ हो तो बाहर से अच्छा बनने का नाटक करके क्या होगा? (मतलब दिखावे का कोई फायदा नहीँ।)
Good on the outside but bad from inside.


१८. तात्तऍ खूं जल मरुँ।
जल्दबाजी में काम बिगाड़ना

१९. लगण बखत हगण।
आखिरी मौके पर हडबडाना

२०.. खालि छै ब्वारि, बल्दौक पुछड़ कन्या।
चैन से न बैठने देना


[सहयोग कर्ता ; महेंद्र सिंह राणा हिमांशु करगेती एवं रामचन्द्र पंत]

उत्तराखंड की भाषा आप ते अपना संस्कृति क दगड़ जुडदी!

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आपक/तुमक बौत बौत धन्यवाद प्रतिक्रिया दीण कुण/लिजी

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